भारत में युवाओं के बीच नशे की बढ़ती प्रवृत्ति (Substance Abuse) एक गंभीर सामाजिक और स्वास्थ्य चुनौती बन चुकी है। शराब, तंबाकू और ड्रग्स की लत न केवल व्यक्तिगत जीवन को प्रभावित करती है, बल्कि परिवारों और समाज पर भी गहरा असर डालती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, तंबाकू विश्व में रोकथाम योग्य मौतों का सबसे बड़ा कारण है, जबकि भारत में शराब और अन्य नशीले पदार्थों का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है। यह लेख युवाओं में नशे की लत और इसके स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों पर प्रकाश डालता है।
युवाओं में नशे की लत का बढ़ता खतरा
2019 में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा आयोजित “राष्ट्रीय सर्वेक्षण: भारत में पदार्थ उपयोग की मात्रा और पैटर्न” के अनुसार, देश में 16 करोड़ लोग (14.6%) 10 से 75 वर्ष की आयु के बीच शराब का उपयोग करते हैं, जिनमें से 5.2% शराब पर निर्भर हैं। इसके अलावा, 3.1 करोड़ लोग (2.8%) कैनबिस और 2.06% लोग ओपिओइड्स का उपयोग करते हैं। खास तौर पर, 13% नशा करने वाले लोग 20 वर्ष से कम आयु के हैं, जो एक चिंताजनक आंकड़ा है।
युवा, विशेष रूप से किशोरावस्था में, Substance Abuse के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं। नेशनल ड्रग सर्वे 2019 के अनुसार, किशोरों में ओपिओइड्स का उपयोग 1.8%, शराब 1.3%, और कैनबिस 0.9% है। तंबाकू का उपयोग भी किशोरों में व्यापक है, जिसमें 8.5% छात्र तंबाकू उत्पादों का उपयोग करते हैं।
Substance Abuse का स्वास्थ्य पर प्रभाव
नशे की लत (Substance Abuse) का युवाओं के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ता है। तंबाकू के उपयोग से फेफड़ों का कैंसर, हृदय रोग और श्वसन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। WHO के 2023 के आंकड़ों के अनुसार, विश्व भर में हर साल 5 लाख मौतें नशे से संबंधित हैं, जिनमें तंबाकू सबसे बड़ा योगदानकर्ता है।
शराब की लत से लीवर सिरोसिस, हृदय रोग और मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं जैसे अवसाद और चिंता बढ़ती हैं। 2022-2023 के नेशनल सर्वे ऑन ड्रग यूज एंड हेल्थ (NSDUH) के अनुसार, जिन किशोरों ने पिछले साल अवसाद का अनुभव किया, उनमें ड्रग्स (26%) और शराब (6%) का उपयोग अधिक था। इसके अलावा, ड्रग्स जैसे कैनबिस, कोकेन और ओपिओइड्स मस्तिष्क के विकास को प्रभावित करते हैं, खासकर किशोरावस्था में, जब मस्तिष्क पूर्ण रूप से विकसित नहीं होता।

Substance Abuse का सामाजिक और आर्थिक प्रभाव
Substance Abuse केवल स्वास्थ्य तक सीमित नहीं है; यह सामाजिक और आर्थिक समस्याओं को भी जन्म देता है। भारत में बढ़ते नशे को अपराध दर में वृद्धि से जोड़ा गया है, जिसमें घरेलू हिंसा और यौन शोषण के मामले शामिल हैं। बेरोजगारी और गरीबी जैसे सामाजिक कारक भी नशे की प्रवृत्ति को बढ़ावा देते हैं। 2022 में सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) ने बताया कि भारत में बेरोजगारी दर 7.8% थी, जो युवाओं को नशे की ओर धकेलने में एक प्रमुख कारक रही।
नशे की रोकथाम और समाधान
भारत सरकार ने नशे की रोकथाम के लिए कई कदम उठाए हैं। नशा मुक्त भारत अभियान (NMBA) और राष्ट्रीय नशीली दवाओं की मांग में कमी के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना (NAPDDR) जैसे कार्यक्रम जागरूकता बढ़ाने और पुनर्वास सेवाओं को बढ़ावा देने पर केंद्रित हैं। स्कूलों में नशे के खतरों के बारे में शिक्षा को शामिल करना और सामुदायिक जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करना भी प्रभावी कदम हैं।
इसके अलावा, माता-पिता और शिक्षकों की भूमिका महत्वपूर्ण है। अध्ययनों से पता चला है कि परिवार और स्कूल से मिलने वाली जानकारी नशे की रोकथाम में मदद करती है।
निष्कर्ष
युवाओं में Substance Abuse एक गंभीर समस्या है, जिसके दीर्घकालिक प्रभाव स्वास्थ्य, समाज और अर्थव्यवस्था पर पड़ते हैं। इसे रोकने के लिए सामुदायिक और सरकारी प्रयासों के साथ-साथ व्यक्तिगत जागरूकता की आवश्यकता है। यदि समय रहते कदम नहीं उठाए गए, तो यह समस्या एक पीढ़ीगत खतरे के रूप में उभर सकती है।
FAQs
1. नशे की लत क्या है?
नशे की लत (Substance Abuse) तब होती है जब कोई व्यक्ति शराब, तंबाकू या ड्रग्स का हानिकारक मात्रा में उपयोग करता है, जिससे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचता है।
2. युवाओं में नशे की लत क्यों बढ़ रही है?
बेरोजगारी, सामाजिक दबाव, और आसान उपलब्धता जैसे कारक युवाओं में नशे की लत को बढ़ावा दे रहे हैं।
3. नशे की लत से बचाव कैसे करें?
जागरूकता कार्यक्रम, स्कूलों में शिक्षा, और परिवार का समर्थन नशे की लत से बचाव में मदद कर सकता है।
4. क्या नशे की लत का इलाज संभव है?
हां, पुनर्वास केंद्रों, काउंसलिंग और चिकित्सा के माध्यम से नशे की लत का इलाज संभव है।
आधिकारिक संसाधन: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) अधिक जानकारी के लिए हमारी साइट पर स्वास्थ्य टिप्स पढ़ें: स्वास्थ्य टिप्स