क्या आप रात में ठीक से सो नहीं पाते? क्या दिनभर थकान, चिड़चिड़ापन या ध्यान केंद्रित करने में परेशानी महसूस होती है? अगर हां, तो आप नींद(sleep) विकारों का शिकार हो सकते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, विश्व भर में लगभग 10-20% लोग किसी न किसी प्रकार के नींद(sleep) विकार से पीड़ित हैं। भारत में भी यह समस्या तेजी से बढ़ रही है, और हाल के अध्ययनों ने इसके गंभीर स्वास्थ्य प्रभावों को उजागर किया है। आइए, नींद विकारों के कारण, प्रभाव और समाधान पर एक नजर डालें।
नींद(sleep) विकार क्या हैं?
नींद विकार ऐसी स्थितियां हैं जो व्यक्ति की नींद की गुणवत्ता, अवधि या समय को प्रभावित करती हैं। इनमें अनिद्रा (इंसोम्निया), स्लीप एपनिया, रेस्टलेस लेग सिंड्रोम (RLS), और नार्कोलेप्सी जैसे विकार शामिल हैं। अपर्याप्त या अत्यधिक नींद संज्ञानात्मक कार्यक्षमता और मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकती है। भारत में, विशेष रूप से शहरी क्षेत्रों में, तनाव, स्क्रीन टाइम और अनियमित जीवनशैली के कारण नींद विकारों के मामले बढ़ रहे हैं।
भारत में नींद(sleep) विकारों की स्थिति
हाल के आंकड़ों के अनुसार, भारत में लगभग 66% पायलट्स ने स्वीकार किया है कि वे उड़ान के दौरान झपकी लेते हैं, जो नींद की कमी से जुड़ा है। यह खुलासा आज तक की एक रिपोर्ट में किया गया, जिसमें नींद की कमी के कारण हुए हादसों का जिक्र था, जैसे 2010 का मंगलौर विमान हादसा, जिसमें 158 लोग मारे गए थे। इसके अलावा, एक अन्य अध्ययन में पाया गया कि भारत में 30-40% शहरी आबादी अनिद्रा या नींद से संबंधित समस्याओं से जूझ रही है।
नींद(sleep) विकारों के कारण
नींद विकारों के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:
- तनाव और मानसिक स्वास्थ्य: तनाव, चिंता और अवसाद नींद की गुणवत्ता को प्रभावित करते हैं। WHO के अनुसार, मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं नींद विकारों का प्रमुख कारण हैं।
- अनियमित जीवनशैली: देर रात तक जागना, स्क्रीन टाइम और अनियमित खान-पान नींद(sleep) के पैटर्न को बिगाड़ते हैं।
- मेडिकल समस्याएं: स्लीप एपनिया, मधुमेह और हृदय रोग जैसी स्थितियां नींद को प्रभावित कर सकती हैं।
- उम्र: उम्र बढ़ने के साथ नींद के पैटर्न में बदलाव आता है, जिससे नींद की गड़बड़ी बढ़ सकती है।
- अत्यधिक स्क्रीन टाइम: इंडिया टीवी की एक रिपोर्ट के अनुसार, बच्चों में अधिक स्क्रीन टाइम से वर्चुअल ऑटिज्म और नींद की समस्याएं बढ़ रही हैं।
नींद(sleep) विकारों के प्रभाव
नींद की कमी या विकारों का प्रभाव केवल थकान तक सीमित नहीं है। यह शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर असर डालता है:
- संज्ञानात्मक प्रभाव: कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के शोध में पाया गया कि 7 घंटे की नींद मनोभ्रंश (डिमेंशिया) से बचाव के लिए इष्टतम है। कम या अधिक नींद स्मृति और ध्यान को प्रभावित करती है।
- शारीरिक स्वास्थ्य: नींद की कमी मोटापे, मधुमेह और हृदय रोगों के जोखिम को बढ़ाती है। टाइम्स नाउ की एक रिपोर्ट में कहा गया कि अपर्याप्त नींद मेटाबॉलिज्म को धीमा कर देती है, जिससे वजन बढ़ सकता है।
- मानसिक स्वास्थ्य: अधिक नींद या नींद की कमी अवसाद और चिंता के जोखिम को बढ़ाती है।
- सुरक्षा जोखिम: नींद की कमी के कारण सड़क हादसे, विमान दुर्घटनाएं और कार्यस्थल पर गलतियां बढ़ सकती हैं।
समाधान और उपाय
नींद विकारों से निपटने के लिए विशेषज्ञ निम्नलिखित उपाय सुझाते हैं:
- नियमित दिनचर्या: रोजाना एक निश्चित समय पर सोने और जागने की आदत बनाएं।
- स्क्रीन टाइम सीमित करें: सोने से कम से कम 1 घंटे पहले मोबाइल, टीवी और लैपटॉप से दूरी बनाएं।
- स्वस्थ आहार और व्यायाम: संतुलित आहार और नियमित व्यायाम नींद की गुणवत्ता को बेहतर करते हैं।
- चिकित्सीय सलाह: यदि नींद की समस्या बनी रहती है, तो किसी मेडिकल प्रोफेशनल से संपर्क करें। स्लीप एपनिया जैसे विकारों के लिए CPAP मशीन या नई दवाओं का उपयोग प्रभावी हो सकता है।
- ध्यान और योग: योग और मेडिटेशन तनाव को कम कर नींद को बेहतर बनाने में मदद करते हैं।
निष्कर्ष
नींद हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य की नींव है। भारत में बढ़ते नींद विकारों को गंभीरता से लेने की जरूरत है। छोटे-छोटे बदलाव, जैसे नियमित दिनचर्या और स्क्रीन टाइम में कमी, इस समस्या को काफी हद तक कम कर सकते हैं। अगर आपको नींद से संबंधित समस्याएं हैं, तो समय रहते विशेषज्ञ की सलाह लें। आखिर, अच्छी नींद स्वस्थ जीवन का आधार है। स्वास्थ्य से संबंधित अन्य जानकारी के लिए तथ्यटाइम्स से जुड़े रहें।