भारत सरकार ने 11 अगस्त 2025 को नया आयकर विधेयक 2025 (New Income Tax Bill 2025) लोकसभा में पारित कर दिया है, जो 1961 के पुराने आयकर अधिनियम की जगह लेगा। यह विधेयक दशकों से चली आ रही जटिल कर प्रणाली को सरल बनाने, मुकदमेबाजी कम करने और करदाताओं के लिए पारदर्शिता बढ़ाने के उद्देश्य से लाया गया है। हालांकि, बिना किसी बहस के इसे पारित किए जाने पर राजनीतिक विवाद भी खड़ा हो गया है। आइए विस्तार से जानते हैं कि यह नया कानून कैसे काम करेगा और इसके क्या फायदे-नुकसान हैं।

New Income Tax Bill 2025 की मुख्य विशेषताएं
1. SIMPLIFY: कर कानूनों को सरल बनाने की पहल
सरकार ने नए विधेयक को SIMPLIFY (सरलीकरण) के सिद्धांत पर आधारित किया है, जिसके पांच प्रमुख आधार हैं:
- Streamlined Structure and Language (सरलीकृत संरचना और भाषा): पुराने कानून में 800 से अधिक धाराएँ थीं, जिन्हें घटाकर New Income Tax Bill 2025 मे मात्र 536 कर दिया गया है। अब कानून की भाषा को आम आदमी के लिए समझने में आसान बनाया गया है।
- Integrated and Concise (एकीकृत और संक्षिप्त): पहले के विभिन्न प्रावधानों को एक साथ जोड़कर कानून को और स्पष्ट किया गया है।
- Minimized Litigation (मुकदमेबाजी में कमी): स्पष्ट नियमों से कर विवादों में कमी आएगी, जिससे सरकार और करदाताओं दोनों का समय और पैसा बचेगा।
- Practical and Transparent (व्यावहारिक और पारदर्शी): कर प्रक्रियाओं में पारदर्शिता बढ़ाने पर जोर दिया गया है।
- Learn and Efficient Tax Reform (सीखने योग्य और कुशल कर सुधार): नए करदाताओं के लिए कानून को समझना आसान होगा।
2. ‘टैक्स ईयर’ की नई अवधारणा – भ्रम खत्म
पुराने कानून में ‘असेसमेंट ईयर’ और ‘प्रीवियस ईयर’ जैसे तकनीकी शब्दों का उपयोग होता था, जिससे आम लोगों को भ्रम होता था। नए विधेयक (New Income Tax Bill 2025) में इन शब्दों को हटाकर सिर्फ ‘टैक्स ईयर’ शब्द का प्रयोग किया गया है। अब करदाताओं को सिर्फ यह समझना होगा कि ‘टैक्स ईयर’ वह वर्ष है जिसके लिए कर चुकाना है।
3. कर दरों में कोई बदलाव नहीं
नए विधेयक (New Income Tax Bill 2025) में कर स्लैब या दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया है। फरवरी 2025 के बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 12 लाख रुपये तक की आय पर टैक्स छूट का ऐलान किया था, जो अभी भी जारी रहेगा।
4. डिजिटल और फेसलेस कर प्रक्रिया
आयकर विभाग ने ‘फेसलेस असेसमेंट’ और ‘डिजिटल-फर्स्ट’ प्रणाली को मजबूत किया है। इसका मतलब है कि:
- अब करदाताओं को ऑनलाइन ही सभी प्रक्रियाएं पूरी करनी होंगी, जिससे भ्रष्टाचार और मानवीय भेदभाव कम होगा।
- ईमानदार करदाताओं को परेशान नहीं किया जाएगा, और उनकी जांच केवल डिजिटल माध्यम से होगी।
5. धार्मिक दान पर छूट, लेकिन अन्य ट्रस्टों पर कर
नए विधेयक (New Income Tax Bill 2025)) में धार्मिक संस्थानों (मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे आदि) को मिलने वाले गुमनाम दान पर कोई कर नहीं लगेगा। हालांकि, शैक्षणिक संस्थानों, अस्पतालों और अन्य चैरिटेबल ट्रस्टों को मिलने वाले गुमनाम दान पर टैक्स लग सकता है। इससे धार्मिक संस्थाओं को राहत मिलेगी, लेकिन शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े संगठनों पर अतिरिक्त बोझ पड़ सकता है।
6. लेट फाइलिंग पर भी रिफंड का अधिकार
पहले अगर कोई करदाता आयकर रिटर्न देरी से दाखिल करता था, तो उसका रिफंड रोक लिया जाता था। लेकिन नए विधेयक (New Income Tax Bill 2025) में यह नियम बदल दिया गया है। अब लेट फाइलिंग करने पर भी करदाता को अग्रिम कर की वापसी मिलेगी, हालांकि देरी के लिए जुर्माना लग सकता है।
किन लोगों को होगा सबसे ज्यादा फायदा?
1. सैलरी कमाने वाले और मध्यम वर्ग
- कर नियमों का सरलीकरण होने से भ्रम कम होगा।
- ऑनलाइन प्रक्रियाओं से समय की बचत होगी।
2. छोटे व्यवसाय और MSMEs
- फेसलेस असेसमेंट से अनुपालन आसान होगा।
- कम विवादों से व्यापारियों का समय और पैसा बचेगा।
3. धार्मिक संस्थाएं
गुमनाम दान पर छूट से उन्हें वित्तीय लाभ होगा।
विवाद और चिंताएं
1. बिना बहस के पारित होना
विपक्ष ने आरोप लगाया है कि सरकार ने इस महत्वपूर्ण विधेयक को बिना चर्चा के पारित कर दिया, जो लोकतांत्रिक प्रक्रिया के खिलाफ है।
2. निजता पर खतरा?
नए विधेयक में (New Income Tax Bill 2025) आयकर विभाग को करदाताओं के ईमेल, सोशल मीडिया और ऑनलाइन ट्रेडिंग अकाउंट्स तक पहुंच का अधिकार दिया गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह निजता के अधिकार का उल्लंघन हो सकता है।
3. गैर-धार्मिक चैरिटेबल संस्थाओं पर दबाव
शैक्षणिक और चिकित्सा संस्थानों को गुमनाम दान पर कर लगने से उनकी फंडिंग प्रभावित हो सकती है।
निष्कर्ष: क्या यह सुधार सही दिशा में है?
New Income Tax Bill 2025 का मुख्य उद्देश्य भारत की कर प्रणाली को अधिक पारदर्शी, सरल और विवाद-मुक्त बनाना है। हालांकि, निजता के मुद्दे और बिना चर्चा के पारित किए जाने पर सवाल उठाए जा रहे हैं। अगर इसका सही तरीके से कार्यान्वयन होता है, तो यह देश की कर प्रणाली में एक बड़ा सुधार साबित हो सकता है।
अधिक जानकारी के लिए आधिकारिक स्रोत: भारतीय आयकर विभाग
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